2 न्याय मंत्री
लेखक- श्री सुदर्शन
लेखक परिचय - 'सुदर्शन' जी का मूल वास्तविक नाम बदरीनाथ वर्मा था। आपका जन्म 1896 ई पंजाब राज्य के शियाल कोट नामक स्थान में हुआ था। बचपन से ही आपने कहानियां लिखना आरम्भ किया था।
पुष्पलता,सुप्रभात,परिवर्तन, पनघट, नगीना आदि आपके सुप्रशिद्ध कहानी सँग्रह है।
पाठ का परिचय - इस कहानी में सम्राट अशोक सर्वश्रेष्ठ न्यायमंत्री की खोज में था ,शिशुपाल से मुलाकात होने पर उसकी योग्यता देख कर उसे न्याय मंत्री बनाया न्याय ना राजा देखता है ना रंक। न्याय तंत्र पर विश्वास दिलाने के लिए यहां प्रयास किया है ।नई पीढ़ी के लिए इस प्रेरक कहानी द्वारा न्याय तंत्र की जिम्मेदारी का भी महत्व समझाया गया है।
शब्दार्थ●●●●●
| सौभाग्य | सदनसीब |
| सुगम | सरल |
| अवसर | मौका |
| राजमुद्रा | राष्ट्र की निशानी |
| सुप्रबंध | सुव्यवस्था |
| उदंड | अविवेकी |
मुहावरे●●●●●
| सहम जाना | आश्चर्यचकित हो जाना |
| कलेजा धड़कना | चिंतित होना |
| धूम मच जाना | प्रसिद्ध हो जाना |
| रात दिन एक करना | कड़ी महेनत करना |
| होठ काटना | आश्चर्य में पड़ना |
| शिर झुकाना | लज्जित होना |
विरोधी शब्द●●●●●
| परदेशी | स्वदेसी |
| आदर | अनादर |
| अपराधी | निरपराधी |
| सुप्रबंध | कुप्रबन्द |
| गिरफ्तार | रिहा |
| स्वीकार | अस्वीकार |
समानार्थी सब्द●●●●●
| अतिथि | मेहमान |
| सुगम | सरल |
| कठिन | मुश्किल |
| हैरान | चकित |
| निरुत्तर | खामोश |
| अतिथि | मेहमान |
शब्द समहू के लिए एक शब्द दीजिए●●●●●
| 1) अपराधी के हाथों में पहनाई जाने वाली लोहे की जंजीर | हथकड़ी |
| 2) शासन की निशानी | राजमुद्रा |
| 3) जिसके आने की तिथि निश्चित नहीं है वह | अतिथि |
| 4) अच्छी तरह से किया हुआ | समुचित |

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