सवाल बालमन के जवाब डॉक्टर कलाम के (साक्षात्कार)

 4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए:

1. भाषा के विषय में डॉक्टर कलाम ने क्या बताया?
उत्तर : भाषा के विषय में अब्दुल कलाम साहब हमें बताते हैं कि उसने खुद माध्यमिक शिक्षा तक की पढ़ाई अपनी मातृभाषा के माध्यम से की है।कॉलेज और उसे आगे की शिक्षा अंग्रेजी माध्यम की संस्था में हुई।उसका मानना है कि हम कॉलेज में भी माध्यम के रूप में मातृभाषा का चुनाव कर सकते हैं। क्योंकि युवा अपने मातृभाषा में ही सोचता है। उसी में अपनी सहजता से कहने में सक्षम है। और इसमें कोई भी संदेह नहीं है कि वैश्विक स्तर पर संपर्क के लिए अंग्रेजी जैसी एक संपर्क भाषा की निशांत आवश्यकता है। इस प्रकार अपनी मातृभाषा का महत्व समझाया।

2. डॉक्टर कलाम के अनुसार उनकी तरह बनने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर : डॉक्टर कलाम के अनुसार उनकी तरह बनने के लिए हमें खास ध्यान रखना चाहिए, कि जब हम युवावस्था में कदम रखे तो हमें हमारा जीवन लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए !हमारी सोच बड़ी होनी चाहिए। जिससे हमें अनुभूति हो कि हम क्या बनना चाहते हैं! तभी से उस दिशा में आगे बढ़ने में और श्रम करने का प्रारंभ कर देना चाहिए। और जी-तोड़ मेहनत करनी चाहिए। जो भी समस्या आए उस को हराकर जीत हासिल करनी चाहिए। तभी हमें जीवन में सफलता मिलेगी। और हम उसकी तरह बन सकेंगे।

3. प्रवासी भारतीय मातृभूमि के प्रति गर्व की भावना कैसे विकसित कर सकते हैं
उत्तर : इसके जवाब में अब्दुल कलाम कहते हैं, कि भारतीय मूल का कोई भी व्यक्ति एक बृहदभारतीय परिवार का अंग है। और उसे हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व है। हमें किसी भी तरह हमारे देश की संस्कृति से जुड़े रहना चाहिए। यानी कि हमें हमारे देश का गर्व होना चाहिए।

4. भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में राजनीतिज्ञों की क्या भूमिका होनी चाहिए
उत्तर : भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में एक अच्छा और सच्चा राजनीतिज्ञ होना बहुत जरूरी है। क्योंकि जिम्मेदार राजनीतिज्ञ दूरदर्शिता पूर्ण नीतियांँ बनाता है। जैसे महात्मा गांधी थे ,जिसने सत्य, अहिंसा तथा निस्वार्थ भावना से ब्रिटिश शासकों के विरुद्ध अपनी लड़ाई लड़ी। वर्तमान राजनीतिज्ञ को अपने कठिन परिश्रम, उत्कृष्टता और पारदर्शी कार्यों से मार्गदर्शन देना होगा। साथ ही गरीबी रेखा से नीचे रहे 26 करोड़ भारतीयों के उत्थान के लिए बी कार्य करना। होगा

5. पढ़े हुए से देखा हुआ ज्यादा याद रह जाता है ?क्यों?
उत्तर : पढ़े हुए से देखा हुआ ज्यादा याद रह जाता है। क्योंकि कई बच्चे ऐसे हैं कि वह बहुत चंचल स्वभाव के होते हैं। वे शैतानी भी करते हैं, लेकिन जब उनकी आंख प्रत्यक्ष कुछ देखती है तो उसे वह काम करने के लिए उत्सुक ही हो जाते हैं। और वह लोग पढ़ाई करते हैं तो उसमें कुछ भी नहीं समझते। इसीलिए कोई भी घटना यदि प्रत्यक्ष दिखाई दी जाए तो वह जल्दी से याद रह जाती है।

व्याकरण

1. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग करें:

1. जी तोड़ मेहनत करना-

बहुत मेहनत करना

2. महारत हासिल करना-

विजय प्राप्त करना

2. समानार्थी शब्द लिखिए:

1. जीवंत - जीवित

2. विरासत - धरोहर

3. उत्कृष्ट - श्रेष्ठ

4. खाका - नकशा

5. प्रचुर - पर्याप्त

6. दस्तकार - शिल्पकार

7. विघ्न - बाधा

8. निष्ठा - श्रद्धा

9. बृहद - महान

3. विरोधी शब्द लिखिए:

1. दिन * रात

2. समक्ष * विरुद्ध

3. जीवन * मृत्यु

4. सफल * असफल

5. स्वदेश * परदेश

6. विकसित * अविकसित

7. निश्चय * अनिश्चय

8. सुलभ * दुर्लभ

4. कोष्टक में दिए गए सर्वनाम शब्दों के उचित रूप से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

1. यह कार्य___ नहीं हो सकेगा।(मैं)
उत्तर : मुझसे

2. पापा ने___ बुलाया है। (तुम)
उत्तर : तुझे

3. जो लड़की वहां खड़ी है मैं___ नहीं जानता। (वह)
उत्तर : उसे

4. लगता है___ मेरी बात अच्छी नहीं लगती। (यह)
उत्तर : इसे

5. यह काम___ लोगों ने किया।(कौन)
उत्तर : इन

5. वचन परिवर्तन कीजिए:

1. मूर्ति मूर्तियां

2. दिशा - दिशाएं

3. कहानी - कहानियां

4. गमला - गमले

6. लिंग परिवर्तन कीजिए:

1. युवक - युवती

2. पंडित पंडिताईन

3. छात्र - छात्रा

4. अध्यापक - अध्यापिका

5. डॉक्टर - डॉक्टरनी

6. माली - मालिका

                                    डॉक्टर विक्रम साराभाई
       
विक्रम साराभाई को यदि भारत के अन्तरिक्ष कार्यक्रमों का जनक कहा जाये, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वे एक महान वैज्ञानिक ही नहीं अपितु समाजसेवी भी थे । आज भारतीय दूरदर्शन की समूची कार्यप्रणाली अन्तरिक्ष विज्ञान पर आधारित है । दूरदर्शन को अन्तरिक्ष से जोडने का जो कार्य विक्रम साराशाई ने किया, उसके लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे ।
 2. जीवन परिचय एवं उपलब्धियां:
      डॉ॰ विक्रम सारामाई का जन्म 12 अगस्त, 1919 को गुजरात में हुआ था । उनके पिता अबालाल साराभाई एक प्रसिद्ध व्यवसायी थे । अपनी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर प्राप्त करने के साथ ही उन्होंने बागवानी, तकनीकी, भाषा, विज्ञान, नृत्य, संगीत, चित्रकला, फोटोग्राफी आदि की शिक्षा भी विशिष्ट रूप से प्राप्त की ।
      डॉ॰ साराभाई ने अहमदाबाद कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के उपरान्त सेंट जोन्स कॉलेज केम्बिज से 1939 में प्राकृतिक विज्ञान में परीक्षा उत्तीर्ण की । भारत लौटने पर वे चन्द्रशेखर वेंकटरमन तथा होगी जहांगीर भागा के साथ अन्तरिक्ष विज्ञान पर कार्य करते रहे ।
उनका विवाह प्रसिद्ध नृत्यांगना गुणालिनी साराभाई से हुआ, जिनसे एकमात्र पुत्री मल्लिका साराभाई का जन्म हुआ । वह भी एक कुशल नृत्यांगना होने के साथ-साथ अभिनय क्षेत्र में अपना विशेष स्थान रखती है । सन् 1942 में अन्तरिक्ष किरणों की तीव्रता एवं परिवर्तन पर शोधपत्र प्रस्तुत किया । 1945 में वे पुन: केम्ब्रिज गये । 1947 में पी॰एच॰डी॰ पूर्ण कर केवेण्डिश तथा केम्ब्रिज प्रयोगशाला में शोधकार्य किया ।
तत्पश्चात् बाह्य एवं आन्तरिक अन्तरिक्ष अध्ययन हेतु अहमदाबाद में भौतिकी उानुराधान प्रयोगशाला स्थापित की । निदेशक के रूप में 1965 तक वहा की प्रयोगशाला के अन्तरिक्ष कार्यक्रम को गति प्रदान की । 1955 में कश्मीर के गुलमर्ग, तिरुअनन्तपुरम तथा कोडाइकनाल में भी अन्तरिक्ष अध्ययन केन्द्र स्थापित किये ।
        अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने रोहिणी, मेनका तथा 1975 में आर्यभट्ट नामक उपग्रह प्रक्षेपित किया । साराभाई ने पृथ्वी तथा सूर्य के वायुमण्डलीय चुम्बकत्व, सूर्य की स्थिति आदि से सम्बन्धित शोध कार्य किये ।उन्होंने गुजरात तथा देश के उान्य क्षेत्रों में अनेक उद्योग स्थापित किये, जिनमें साराभाई इंजीनियरिंग, रिसर्च वन्टर, ऑपरेशन रिसर्च सुप, ओषधि निर्माण केन्द्र आदि हैं । वे अन्तरिक्ष परगाणु ऊर्जा एजेन्सी के जनरल काग्रेस के अध्यक्ष भी रहे । उन्हें शान्तिस्वरूप भटनागर पुरस्कार तथा पद्‌मभूषण से भी सम्मानित किया गया । डॉ॰ साराभाई 30 दिसम्बर, 1971 को पचतत्त्व में विलीन हो गये ।
3. उपसंहार:
    इस प्रकार डॉ विक्रम साराभाई हमारे देश के एक अच्छे वैज्ञानिक और समाजसेवी थे